jagannath temple
jagannath temple जगन्नाथ मन्दिर, भारत के ओडिशा राज्य में स्थित एक प्रमुख हिन्दू मंदिर है। यह पुरी नगर में स्थित है और भगवान जगन्नाथ (भगवान कृष्ण के रूप में) को समर्पित है। यह मंदिर भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और विभिन्न धार्मिक और परंपरागत आयोजनों का केंद्र है।
सम्पूर्ण जानकारी; जगन्नाथ मन्दिर
jagannath temple
जगन्नाथ मन्दिर, भारत के ओडिशा राज्य में स्थित एक प्रमुख हिन्दू मंदिर है। यह पुरी नगर में स्थित है और भगवान जगन्नाथ (भगवान कृष्ण के रूप में) को समर्पित है। यह मंदिर भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और विभिन्न धार्मिक और परंपरागत आयोजनों का केंद्र है।
जगन्नाथ मन्दिर का निर्माण 12वीं सदी में हुआ था और इसकी स्थापना राजा अनंगभिम द्वारा की गई थी। यह मंदिर पुरी नगर का सबसे प्रसिद्ध स्थल है और भारतीय परंपरा में एक महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा स्थल है।
जगन्नाथ मंदिर के द्वारा प्रयागराज में हरिद्वार कुम्भ मेला के समय की तरह प्रति वर्ष चार वर्षों में एक बार रथयात्रा का आयोजन किया जाता है। इसमें भगवान जगन्नाथ के रथ को मंदिर से लेकर बाड़ी संताना में ले जाया जाता है। यह रथयात्रा भारत की सबसे बड़ी धार्मिक महोत्सवों में से एक है।
जगन्नाथ मंदिर के अलावा, इसके पास एक अन्य प्रमुख मंदिर है, जिसे सुबद्रा राय के नाम पर जाना जाता है। यहां भगवान जगन्नाथ की बहन सुबद्रा की पूजा की जाती है।
जगन्नाथ मंदिर का अत्यंत महत्वपूर्ण भव्य संरचना और धार्मिक आदर्शों के लिए प्रसिद्ध होने के साथ-साथ इसकी भगवान जगन्नाथ के रथयात्रा महोत्सव की अनूठी पहचान है।
पूरी जगन्नाथ टेम्पल जाने का सही समय
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पुरी जगन्नाथ मंदिर को जाने का सही समय कई आधारों पर निर्भर करता है, जैसे कि धार्मिक आयोजनों का आयोजन, मौसम, और यात्रा के उद्देश्य। यदि आप पूरी जगन्नाथ मंदिर की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, तो निम्नलिखित विचारों को ध्यान में रखें:
रथयात्रा महोत्सव: पुरी में जगन्नाथ मंदिर का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध आयोजन है रथयात्रा, जो चार दिनों तक चलता है। यहां जाने का सबसे अच्छा समय रथयात्रा के समय का होता है, जो जून-जुलाई में होता है।
मौसम: पुरी का मौसम आपके यात्रा को प्रभावित कर सकता है। अधिकतम मौसम आपकी यात्रा के आनंद को बढ़ा सकता है। शीतकालीन महीनों में, जैसे नवंबर से फरवरी तक, मौसम पुरी में सुहावना होता है।
धार्मिक आयोजन: पुरी में अन्य धार्मिक आयोजनों के समय भी मंदिर जाने का अच्छा समय होता है। इसमें दीपावली, होली, महाशिवरात्रि, और कृष्णा जन्माष्टमी शामिल हैं।
यात्रा के उद्देश्य: यदि आपकी यात्रा का मुख्य उद्देश्य धार्मिक है, तो आपको मंदिर उन्नति के समय पर जाने की सलाह दी जा सकती है।
समग्र रूप से, रथयात्रा के समय को मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय माना जाता है, लेकिन यदि आपका उद्देश्य अलग है, तो आपको विचार करना चाहिए कि आपके लिए सबसे उपयुक्त समय क्या हो सकता है। यह अधिक जानकारी और योजना के लिए स्थानीय आधिकारिक स्रोतों से संपर्क करें।
पूरी जगन्नाथ टेम्पल का आर्किटेक्चर
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पुरी जगन्नाथ मंदिर का आर्किटेक्चर बहुत ही प्राचीन और विशेष है। यह मंदिर किसी भी परंपरागत भारतीय मंदिर के समान नहीं है, और इसका आकार, संरचना, और रूप अन्य मंदिरों से भिन्न है।
जगन्नाथ मंदिर की मुख्य आर्किटेक्चरल विशेषताएं इस प्रकार हैं:
ब्रह्म मंदिर स्थापत्य: यह मंदिर ब्रह्म मंदिर स्थापत्य की प्राचीन शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसका निर्माण खंडोवर्षण युग में हुआ था और इसका आर्किटेक्चर प्राचीन वेदिक संस्कृति को अद्वितीयता और श्रेष्ठता के रूप में प्रस्तुत करता है।
मुख्य गोपुरम: मंदिर के प्रमुख गोपुरम (द्वार) की ऊंचाई और भव्यता अपनी खासियत है। यह गोपुरम मंदिर की प्रमुख पहचान है और इसकी ऊँचाई लगभग 65 मीटर है।
चारिद्वारी निकटता: मंदिर के चार द्वारिकों की स्थिति मंदिर की अनूठी विशेषता है। इन चारों द्वारिकों का नाम लिखा है: सिंहद्वार, हास्तिद्वार, गजानन द्वार, और अश्वद्वार।
गर्भगृह: मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और उनकी बहन सुबद्रा की मूर्तियाँ स्थित हैं।
मुख्य मंदिर संरचना: मंदिर की मुख्य संरचना को प्राचीन भारतीय शिल्पकला के साथ सम्मिलित किया गया है। इसकी सभी दीवारें खंडित शिलालेखों और विशालकाय पत्थरों से भरी हैं, जो मंदिर को एक विशालकाय रूप और सजीवता प्रदान करते हैं।
इन सभी आर्किटेक्चरल विशेषताओं के साथ, पुरी जगन्नाथ मंदिर अपनी अनूठीता और प्राचीनता के लिए प्रसिद्ध है।
जगन्नाथ मंदिर के रोचक तथ्य
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पुरी जगन्नाथ मंदिर ( puri jagannath temple ) कई रोचक तथ्यों से भरा हुआ है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण तथ्य हैं:
निर्माण और प्रारंभ: पुरी जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं सदी में हुआ था, जिसे राजा अनंगभिम द्वारा स्थापित किया गया था। मंदिर का प्रारंभिक निर्माण 1161 ई. के आसपास हुआ था।
रथयात्रा महोत्सव: पुरी जगन्नाथ मंदिर का रथयात्रा महोत्सव विश्व के सबसे बड़े धार्मिक महोत्सवों में से एक है। हर साल इस महोत्सव के दौरान, भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, और देवी सुबद्रा के रथ बड़ी संताना में निकाले जाते हैं।
अनियमितता का मंदिर: जगन्नाथ मंदिर की एक अनूठी विशेषता यह है कि इसमें मूर्तियों को निरंतर बदला जाता है। मूर्तियों के बदलने की प्रक्रिया को नभ्यंतरित (नवाखाना) कहा जाता है, और इसका महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि इस प्रक्रिया को सिर्फ ब्राह्मणों ही कर सकते हैं।
चार दर्शन: जगन्नाथ मंदिर में चार प्रमुख दर्शन हैं: अलंकार दर्शन, सिंहद्वार दर्शन, विमान मंदिर दर्शन, और रत्न सिंहासन दर्शन।
राजमहल: मंदिर के पास राजमहल भी है, जो पूरी के कई राजाों के आवास के रूप में सेवित हुआ है। इसमें अब भी पुरानी राजवंशी की कई आधिकारिक क्रियाएँ होती हैं।
पुरी जगन्नाथ मंदिर ( puri jagannath temple ) भारत के धार्मिक, सांस्कृतिक, और ऐतिहासिक महत्व का प्रतीक है और इसे प्रति वर्ष लाखों श्रद्धालुओं का आकर्षण बनाता है।
पूरी जगन्नाथ टेम्पल का क्षेत्रफल
पुरी जगन्नाथ मंदिर ( puri jagannath temple ) का क्षेत्रफल लगभग 400,000 वर्ग मीटर (40 हेक्टेयर) है। यह क्षेत्र विभिन्न प्रांगणों, पथवयारां, मंदिरों, और अन्य संगठनों को समाहित करता है जो मंदिर संरचना के भाग हैं। इसके अलावा, मंदिर के परिसर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए अलग-अलग क्षेत्र हैं, जैसे कि गर्भगृह, मुख्य प्रांगण, और अन्य स्थल।
पूरी जगन्नाथ टेम्पल का ध्वज का रहश्य
पुरी जगन्नाथ मंदिर के ध्वज का एक महत्वपूर्ण और रोचक रहस्य है। इस ध्वज को ‘निलचक्र’ भी कहा जाता है और यह ध्वज मंदिर के पश्चिमी द्वार के ऊपर स्थित है। इस ध्वज के पास एक लक्ष्मी ध्वज भी होता है, जो कि भगवान जगन्नाथ की साधना के रूप में मानी जाती है।
इस ध्वज का रहस्य यह है कि यह हमेशा पश्चिम की ओर ही लहराता है। यह अत्यंत अद्भुत और आश्चर्यजनक है, क्योंकि यह ध्वज वायुमंडल में बदलाव के बावजूद कभी भी उत्तर, दक्षिण, या पूर्व की ओर नहीं लहराता है।
इस ध्वज का यह विशेष गुण मान्यता है कि यह भगवान जगन्नाथ के दिव्य इच्छाशक्ति का प्रतीक है, जिसकी संरक्षा में पुरी शहर है। यह ध्वज उस समय भी नहीं हिलता है, जब तूफान आता है या वायुमंडल में तेज हवाये चल रही होती हैं।
इस ध्वज का रहस्य कई विवादों और अद्भुत कथाओं से घिरा है, लेकिन यह एक गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है और पुरी जगन्नाथ मंदिर के परंपरागत अनुष्ठानों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।