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Parasnath Temple : जो गिरिडीह को बनाता है बहुत ही खास

Parasnath Temple झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ, छोटानागपुर द्वीप के पूर्वी छोर पर एक पर्वत शिखर स्थित है। यह 1,365 मीटर ( 4,478 फीट ) की ऊँचाई वाला और झारखंड का सबसे ऊँचा पर्वत है। यह पहाड़ी जैनियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, क्योंकि यह 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की समाधि स्थली है।

पारसनाथ / Parasnath Temple

Parasnath Temple

झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ, छोटानागपुर द्वीप के पूर्वी छोर पर एक पर्वत शिखर स्थित है। यह 1,365 मीटर ( 4,478 फीट ) की ऊँचाई वाला और झारखंड का सबसे ऊँचा पर्वत है। यह पहाड़ी जैनियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, क्योंकि यह 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की समाधि स्थली है।

Parasnath temple
Parasnath temple

माना जाता है की इस पर्वत पर 24 जैन तीर्थंकरो में से 20 तीर्थंकरो को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी, इस पर्वत पर 20 तीर्थंकरो के मंदिर अवस्थित हैं।

पारसनाथ जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है, जब मौसम सुखद होता है। पहाड़ी के तल पर कई होटल और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं।

पारसनाथ पर्वत का वातावरण / Environment of Parasnath Mountain:

Parasnath Temple

पारसनाथ पर्वत का वातावरण शांत और सुखद है। यह पर्वत घने जंगलों से घिरा हुआ है, और यहाँ कई प्राकृतिक झरने और झीलें हैं। पहाड़ों की हवा ताजी और साफ-सुथरी है, और यहां का तापमान हमेशा सुखद रहता है। पहाड़ी की चोटी से, आसपास के ग्रामीण क्षेत्र का मनोरम दृश्य दिखाई देता है।

Environment of Parasnath Mountain
Environment of Parasnath Mountain

पारसनाथ पर्वत एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, यहां साल भर पर्यटक आते रहते हैं। पहाड़ी की चोटी तक ट्रैकिंग एक लोकप्रिय गतिविधि है, आप यहाँ ट्रैकिंग का आनंद ले सकते हैं। पहाड़ी पर कई मंदिर भी हैं, जहां पर्यटक इन तीर्थस्थलों में दर्शन कर सकते हैं।

पारसनाथ पहाड़ी जैव विविधता का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र है। पहाड़ी पर कई दुर्लभ और लुप्तप्राय वन्यजीवों के घर हैं, जिनमें बाघ, हाथी और गैंडे शामिल हैं। हिल को राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित किया गया है, और इसे वन विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है।

पारसनाथ पर्वत का नाम पारसनाथ क्यों

Parasnath Temple

पारसनाथ पर्वत का नाम जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के नाम पर रखा गया है। भगवान पार्श्वनाथ ने इस पर्वत पर मोक्ष प्राप्त किया था।

पारसनाथ नाम के पीछे हैं कई कारण:

मोक्ष प्राप्ति: भगवान पार्श्वनाथ ने इस पर्वत पर मोक्ष प्राप्त किया था, इसलिए इसे “पारसनाथ पर्वत” कहा जाता है।
मंदिर: इस पर्वत पर भगवान पार्श्वनाथ का एक प्राचीन मंदिर है, इसलिए इसे “पारसनाथ पर्वत” कहा जाता है।
सिद्धांत: बौद्ध के अनुसार, यह पर्वत भगवान शिव को समर्पित है, और भगवान शिव को “पारस” भी कहा जाता है, इसलिए इसे        “पारसनाथ पर्वत” कहा जाता है।

पारसनाथ पर्वत के नाम के बारे में कुछ अन्य लोककथाएँ भी हैं:

राजा पारस: एक लोककथा के अनुसार, इस पर्वत का नाम राजा पारस रखा गया है। कहा जाता है कि राजा पारस ने इस पर्वत पर तपस्या की थी और उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था।

निष्कर्ष:

पारसनाथ पर्वत जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है और इसका नाम भगवान पार्श्वनाथ के नाम पर रखा गया है। यही कारण है कि इसे पारसनाथ पर्वत कहा जाता है।

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पारसनाथ पर्वत की पवित्रता:

Parasnath Temple

पारसनाथ पर्वत की पवित्रता
पारसनाथ पर्वत की पवित्रता

जैन धर्म के लिए:

पारसनाथ पर्वत, जिसे सम्मेद शिखर भी कहा जाता है, जैन धर्म का सबसे पवित्र तीर्थस्थल है।
24 तीर्थयात्राओं में से 20 ने यहां मोक्ष प्राप्त किया, क्योंकि इसे “मोक्ष भूमि” भी कहा जाता है।
भगवान महावीर ने यहां 12 वर्ष तक की तपस्या भी की थी।
यहां 20 तीर्थस्थलों की मूर्तियां हैं, भगवान आदिनाथ और भगवान महावीर की विशाल मूर्तियां भी शामिल हैं।
जैन धर्मावलंबियों के लिए यहां तीर्थयात्रा करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

हिन्दू धर्म के लिए:

पारसनाथ पहाड़ी को हिन्दू धर्म में भी काफी पवित्र माना जाता है।
इसे भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है।
यहां कई शिव मंदिर भी हैं, जिनमें भगवान शिव के “त्रिपुर सुंदरी” रूप का मंदिर भी शामिल है।
हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए यहां तीर्थयात्रा करना भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

प्रभाव महत्व:

पारसनाथ पहाड़ी, घने जंगलों से घिरा हुआ है और यहाँ कई दुर्लभ वनस्पतियाँ और जीव-जन्तु पाए जाते हैं।
यह जल क्षेत्र संरक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण है।
यहां अनेक नदियों का उद्गम होता है जो आसपास के क्षेत्रों को सिंचित करता है।

सांस्कृतिक महत्व:

पारसनाथ पहाड़ी का भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है।
यहां कई प्राचीन मंदिर और स्मारक हैं जो भारतीय कला और वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
इस क्षेत्र में कई लोककथाओं और किंवदंतियों का भी भ्रमण हुआ है।

निष्कर्ष:

पारसनाथ पहाड़ी जैन धर्म, हिंदू धर्म, पर्यावरण और संस्कृति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह एक ऐसा स्थान है जो सभी धर्मों और समुदायों के लोगों को एकजुट करता है।

पारसनाथ पैदल यात्रा के फायदे:

Parasnath Temple

पारसनाथ पैदल यात्रा के फायदे
पारसनाथ पैदल यात्रा के फायदे

पारसनाथ पैदल यात्रा एक स्वस्थ, पर्यावरण के अनुकूल और सामाजिक रूप से संचालित यात्रा है जो आपको आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने का भी अवसर प्रदान करती है। यह उन लोगों के लिए एक आदर्श विकल्प है जो प्रकृति का आनंद लेना चाहते हैं और एक यादगार यात्रा का अनुभव प्राप्त करना चाहते हैं।

पारसनाथ पर्वत का महत्व / Importance of Parasnath Mountain:

Parasnath Temple

जैन धर्म के लिए: यह जैन धर्म का सबसे पवित्र तीर्थस्थल है।
पर्यटन के लिए: यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।
पर्यावरण के लिए: यह कई दुर्लभ और लुप्तप्राय जानवरों का घर है।
सांस्कृतिक विरासत के लिए: यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

पारसनाथ हिल एक महत्वपूर्ण धार्मिक, पर्यटन, पर्यावरण और सांस्कृतिक स्थल है।

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